Tuesday, April 30, 2024

लेख- विशेष/ “मिशन स्वराज” में ‘बौद्धिक चर्चाओं का सार्थक शुभारम्भ’ -प्रकाशपुंज

Chhattisgarh Digest News Desk ; Edited by : Nahida Qureshi, Farhan Yunus.

lekh - visheshराजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय की कलम से :-

“मिशन स्वराज” में ‘बौद्धिक चर्चाओं का सार्थक शुभारम्भ’ -प्रकाशपुंज पाण्डेय

समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से बताया कि कोरोना काल में कल 9 अगस्त 2020 को ‘अगस्त क्रांति दिवस’ और ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के ऐतिहासिक दिन तकनीक के प्रयोग से ‘संवाद आवश्यक है’ कार्यक्रम में’ भारत के संदर्भ में वास्तविक समस्याएँ और उनके समाधान’ विषय में एक वर्चुअल चर्चा का आयोजन हुआ। इस चर्चा में देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न वर्गों के बुद्धिजीवियों ने अपनी अपनी राय जाहिर की। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश की मौजूदा स्थिति के बारे में चर्चा हुई।

इस चर्चा में दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर, लेखिका एवं महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव डॉ. चयनिका उनियाल पांडा ने काँग्रेस पार्टी की ओर से बड़ी ही बेबाक़ी से अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही उन्होंने कोरोना काल में देश की महिलाओं की स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने मौजूदा समय में मीडिया की स्वतंत्रता पर भी चर्चा की। चर्चा में डॉ. चयनिका ने कोरोना काल में महिलाओं के ऊपर बढ़ते तनाव पर चर्चा करने की जरूरत को आवश्यक बताया, साथ ही सरकार द्वारा विपक्ष की उपेक्षा का आरोप भी लगाया और कहा कि, यदि सरकार समय रहते विपक्ष के सुझाव मान लेती तो शायद कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ. चंद्रशेखर साहू ने भी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सभी को देशहित में एक साथ मिलकर काम करने की अत्यधिक आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ की महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं बहुत पहले से ही आत्मनिर्भर और स्वावलंबी होने के साथ ही अपने परिवार के पालन पोषण करने में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हैं। चंद्रशेखर साहू ने भी बड़ी बेबाक़ी से कहा कि इस कोरोना काल में सभी को एक साथ सारे मतभेदों को भुलाते हुए लड़ना होगा। साथ ही हमें पृथ्वी, जल, वायु के महत्व को समझना होगा। वहीं पुनः मानवता को बचाए रखने के लिए सशक्त मीडिया, राजनीति, स्वास्थ्य कर्मियों के बढ़िया कार्य संयोजन और अपनी नैसर्गिक विरासत यानि कृषि, जल, जंगल और जमीन की तरफ मुड़ना होगा।

पुड्डुचेरी से इस चर्चा में शामिल हुए कार्डियो सुपरस्पेशेलिस्ट डॉ. निखिल मोतीरमानी ने भी कोविड – 19 महामारी को लेकर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। साथ ही इसके लक्षणों, बचाव और प्रभाव को भी बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझाया और इससे जुड़े शारीरिक और मानसिक प्रभाव के निदान पर भी प्रकाश डाला। डॉ. निखिल मोतीरामानी ने सभी से अपील की है सभी सामाजिक दूरी का ख्याल रखें, मास्क पहनें, सेनेटाइजेशन का ध्यान रखें और तनाव से बचने के लिए योग और प्राणायाम करते रहें।

विक्रम शर्मा जो बस्तर के जनजीवन पर खासा काम कर चुके हैं, उन्हें बस्तर मामलों के जानकार के रूप में भी जाना जाता है, ने बताया कि, आदिवासी बहुल इलाकों में अभी संक्रमण बहुत नहीं है, क्योंकि आदिवासियों की जीवनशैली बहुत सहज है, वे प्रकृति के लिए बेहद विनम्र हैं, इसलिए प्रकृति उन्हें बहुत सारी परेशानियों से बचाए रखती है, लेकिन आने वाले दिनों में शहरों के कारण संक्रमण जरूर बढ़ सकता है। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि बस्तर के सुदूर अंचलों में अभी शिक्षा रोजगार और व्यवस्थापन की बहुत बड़ी कमी है इस पर राज्य और केंद्र सरकारों को व्यापक रुप से ध्यान देने की अत्यधिक आवश्यकता है।

व्यापार जगत से अरुण दुबे ने रोज़गार के लिए कृषि विकास को सबसे महत्वपूर्ण उद्योग बनाने पर बल दिया। साथ ही कहा कि, भविष्य में इस तरह के वायरस अटैक और भी हो सकते हैं, इसके लिए सरकारों को सभी से विमर्श करके नीतियाँ बनानी होंगी।

पंडित प्रियशरण त्रिपाठी ने इस चर्चा के दौरान एक सक्रिय भूमिका निभाई और उन्होंने समाज की मनःस्थिति और आध्यात्मिक व सामाजिक प्रगति की समीक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा कि आज वक्त आ गया है कि समाज में ज्यादा से ज्यादा बौद्धिक स्तर की चर्चाएँ हो ताकि हमारे महापुरुषों के सिद्धांत को आम जन-मानस समझ सके और उनका व्यापक रूप से अनुसरण करते हुए अपने जीवन को सुगम बना सके।

मीडिया जगत से समाजसेवी, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुंज पांडेय जो इस पूरे कार्यक्रम के संयोजक और सूत्रधार भी थे, ने कहा कि, विपक्ष को ज्यादा सशक्त बनना होगा तथा मीडिया को आम लोगों का सवाल उठाते रहना होगा। मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और निष्पक्षता से काम करना होगा। यही तरीका है जिससे लोकतन्त्र मज़बूत होगा, और हम देश पर आई किसी भी परेशानी का सामना कर पाएंगे, क्योंकि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष और निष्पक्ष मीडिया का होना अत्यधिक आवश्यक है। उन्होंने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए सभी वक्ताओं सहित आमजन से अपील भी की है कि, इस प्रकार के गैर राजनैतिक बौद्धिक संवाद होते रहने चाहिए।

इस दौरान आगामी वेबिनार के लिए ”महात्मा गांधी के ग्राम विकास मॉडल” विषय को तय किया गया है। कोरोना काल में जहाँ सामाजिक दूरी बनाए रखना अब मानव के अस्तित्व के लिए जरूरी हो गया है। वहीं महानगरीय जीवन अब कठिन ही नहीं अपितु असम्भव हो गया है। महानगरों के ज्यादातर मजदूर अपने गाँव लौट चुके हैं। अब देश में जो परिस्थिति है वह बहुत जटिल है, आज कारखानों में मज़दूर नहीं हैं और गाँव में मजदूरो के पास काम नहीं है। उत्पादन लगभग खत्म सा हो चला है।

देश की 130 करोड़ जनता की घरेलू ज़रूरतों को पूरा करना लॉकडाउन के साथ संभव नहीं। आगे सरकारों के हाथ और दिल दोनों ही तंग होने वाले हैं। इधर सीमाओं पर बारूद की ज़रूरतों ने इंसानों की रोटियों पर डाका डाल दिया है। इस दृष्टि से बहुत जल्द ही देश के गाँव को आत्मनिर्भर होना ही पड़ेगा, यानि बहुत पहले जो महात्मा नें देश की जीवनशैली पर जो शोध कर जो दिशा बताई थी, उस पर चलने का वक्त आ चुका है।

मतलब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती में गांधी सचमुच पुनः उतने ही खास होने वाले हैं, जितने वे स्वराज्य आंदोलन समय थे। ये बात अलग है कि हम राजनैतिक फायदा-नुकसान के नज़रिए से 150वीं जयंती मना रहें हों, लेकिन निसर्ग ने महात्मा के दर्शन को पुनः जीवित कर दिया है। महात्मा आज सरकार और विपक्ष दोनों के साथ पूरी दुनिया के लिए खास हो चलें हैं। लेकिन असल में वो ‘देश की आत्मा हैं इसलिए वे महात्मा हैं।’

सरकार जब देश में सुराज लाना चाहती है। वहीं विपक्ष में खड़ी देश की सबसे पुरानी पार्टी विस्मृत हो चुके अपने आदर्श महात्मा गाँधी की नसीहतों को फिर से याद करने को मजबूर है। ऐसे में अगला वेबिनार बहुत ख़ास होगा।

अगला वेबिनार 16 तारीख रविवार को दोपहर दो बजे आयोजित होगा। इस वेबिनार में गाँधी पर शोध करने वाले देश के ख्यातिनाम दिग्गज गांधी वादी और नेतागण शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा मीडिया के बड़े नाम, अर्थशास्त्री सहित नए युग के वैज्ञानिक भी शिरकत करेंगे, यानि अगला वेबिनार और भी दिलचस्प होगा।

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