Tuesday, March 19, 2024

माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पुरानी पैंशन बहाली के ऐतिहासिक जजमेंट से सरहदों पर जश्न का माहौल


माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पैरामिलिट्री पैंशन बहाली के हक में फैसले से 20 लाख परिवारों में सड़क से सरहदों तक नए साल के जश्न जैसा माहौल है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सुनाया गया एक ऐतिहासिक फैसला है। सीमाओं पर इस खबर का जोश देखते ही बनता है। पैरा मिलिट्री चौंकीदारों में एक नई उमंग, उर्जा एवं ताजगी का अहसास हैं क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें आर्म्ड फोर्सेस ऑफ द युनियन कबूल किया गया है।
कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन जो कि अर्ध सैनिक बलों के जवानों के पुरानी पैंशन बहाली, वन रैंक वन पेंशन व अन्य सुविधाओं के लिए पिछले 8 सालों से जंतर मंतर, राजघाट, संसद मार्ग व देश के अन्य हिस्सों से धरना प्रदर्शन के जरिए सड़क से लड़ाई जारी रखे हुए है।
महासचिव रणबीर सिंह प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने माना कि केंद्रीय सुरक्षा बल आर्म्ड फोर्सेस ऑफ द यूनियन है जैसे कि भारतीय सेना। बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ एसएसबी आईटीबीपी व आसाम राईफल सुरक्षा बलों का गठन कॉन्स्टीट्यूशन के आर्टिकल 246 शेड्यूल 7 के अंतर्गत गठन किया गया जोकि आर्म्ड फोर्सेस ऑफ युनियन के तहत साफ साफ डिफाइन किया गया है तो फिर सुरक्षा बल सिविलियन कैसे हुए। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सरहदों से लेकर पुरे देश की चाक चौबंद चौंकीदारी की अहमियत देते हुए 20 लाख पैरामिलिट्री जवानों व उनके परिवारों को नए साल पर पुरानी पैंशन बहाली का फैसला लिया यानि कि 2004 से उसके बाद के भर्ती जवानों को पुरानी पैंशन मिलेगी।
पूर्व एडीजी एचआर सिंह चेयरमैन कॉनफैडरेसन द्वारा ऐसी संभावना जताई कि हो सकता है इस ऐतिहासिक पुरानी पैंशन बहाली फैसले के विरुद्ध केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का रूख करे अगर ऐसा होता है तो यह कदम आने वाले 9 राज्यों के चुनावों में भारी असर डालेगा साथ ही 2024 में होने वाले चुनावों में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार व उनके पड़ोसी, रिस्तेदार एवं चाहने वाले जिनकी आबादी पांच प्रतिशत है महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका अदा करेंगे और सत्ता खिसकने के लिए एक पर्सेंट ही काफी है जैसा कि हिमाचल प्रदेश का उदाहरण हमारे सामने है। रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि सरकारें भूल रही है निर्वाचन आयोग के आदेश मुताबिक पोलिंग बूथ पर सिर्फ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात किए जाते हैं जो कि चुनावों में बराबर निष्पक्ष भुमिका निभाते आए हैं लेकिन आखिर कब तक। जब एक सिपाही चालीस साल देश सेवा उपरांत पैंशन आएगा तो बिना पैंशन गुज़र बसर कैसे होगा देश के सामने एक गंभीर सवाल मुंह बाए खड़ा है क्योंकि पैंशन शेयर व बाजार भाव पर निर्भर है ओर बाजार भाव की पतली हालत हम सबको पता है। 2004 से नई पैंशन पाने वाले जवानों की रिटायरमेंट शुरुआत 2024 में हो जाएगी शाय़द तब पता चलेगा कि पैंशन तीन हजार मिल रही है या चार हजार। जब भारत गरीब देश था तब पैंशन मिलती थी और आज पांच ट्रिलियन इकोनॉमी वाले देश में हम कोरोना वेरियर्स नर्सिंग, रेलवे, अध्यापक, सफाई कर्मचारी, चपड़ासी, सिविलियन कर्मचारी, पैरामिलिट्री चौकीदारों को पुरानी पैंशन नसीब नहीं। ज्ञातव्य रहे कि रणबीर सिंह द्वारा नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्सन (एनजेसीए) की मीटिंग में हिस्सा लिया था जो कि पुरानी पैंशन बहाली के श्री शिवगोपाल मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें केरला से काश्मीर तक की विभिन्न पैंशन बहाली एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था। इसके अलावा अभी 8 जनवरी को श्री राहुल गांधी जी के साथ कुरूक्षेत्र की पावन धरा पर भारत जोड़ो यात्रा के उपलक्ष्य में कदमताल कर पुरानी पैंशन बहाली के लिए मेमोरेंडम सौंपा गया था।

इसलिए अब निगाहें माननीय प्रधानमंत्री जी की ओर लगी है उम्मीद कि पैरामिलिट्री चौकीदारों को पुरानी पैंशन बहाली का तोहफा देंगे हम उन्हीं जवानों की बात कर रहे हैं जिनके बीच माननीय आए साल सरहदों पर दिवाली मनाते हैं। रणबीर सिंह ने आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा भारतीय सेना के लिए 15 अगस्त 2015 को जिस प्रकार लाल किला प्राचीर से वन रैंक वन पेंशन की घोषणा की गई थी उम्मीद कि उसी प्रकार पैरामिलिट्री जवानों के लिए 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर कल्याण पथ से ऐतिहासिक घोषणा करेंगे ताकि पैरामिलिट्री जवानों को उनके बुढापे में पैंशन सहारा बन सके।
ज्ञातव्य रहे कि कॉनफैडरेसन पुरानी पैंशन बहाली, वन रैंक वन पेंशन, अर्ध सेना झंडा दिवस कोष, अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड व अर्थ सैनिक स्कूल के गठन , एक्स मैन दर्जा , शहादत में भेदभाव आदि मुद्दों एवं सुविधाओं को लेकर 14 फरवरी को पुलवामा डे पर जंतर मंतर में प्रदर्शन करने वाले हैं।

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