Friday, April 26, 2024

प्राइमरी के शिक्षकों को सिखाई जाएगी स्थानीय भाषा, ट्रेनिंग के लिए बनाई जा रही व्यवस्था

छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए नई कवायद शुरू की गई है। क्षेत्र की स्थानीय भाषा नहीं जानने वाले शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देने की तैयारी है। विभाग शिक्षकों को ऐसे प्रशिक्षित करना चाहता है ताकि वे बच्चों की बोली-भाषा में पढ़ा सकें। इसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

विभाग के सचिव डॉ. एस. भारतीदासन ने कहा है कि ऐसे शिक्षक जिन्हें स्थानीय भाषा का ज्ञान नहीं हैं, उन्हें चिन्हित कर उनके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करें। ऐसे शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएं। स्थानीय भाषा में शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए कोर ग्रुप का गठन किया जाए।कोर ग्रुप में प्रत्येक जिले एवं विकास खण्ड से पांच-पांच विभागीय अधिकारियों का चयन किया जाए। जिला स्तर से डाइट, सहायक परियोजना अधिकारी प्रशिक्षण, विभिन्न प्रशिक्षणों में मास्टर ट्रेनर्स की सफल भूमिका निभाते हुए स्रोत व्यक्ति, सेवानिवृत्त कुशल शिक्षक-प्रशिक्षक एवं शिक्षाविद् जो स्थानीय स्तर पर शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए इच्छुक हो उन्हें कोर ग्रुप में शामिल किया जा सकता है ,इस कोर ग्रुप पर ही प्रशिक्षण का बड़ा दारो-मदार है। बालवाड़ी से लेकर हायर सेकेंडरी स्तर तक के शिक्षकों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं का आकलन किया जाएगा। शिक्षकों के प्रशिक्षण आवश्यकता का आकलन हो जाने के बाद उसी आधार पर छोटे-छोटे कोर्स तैयार किए जाने हैं। अथवा प्रचलित कोर्सेज को संकलित कर उन्हें शिक्षकों को उपलब्ध कराया जाएगा। विकास खण्ड स्तर पर प्रशिक्षण के लिए आवश्यक सुविधाएं एवं सिस्टम स्थापित करना है।प्रशिक्षण आयोजन के लिए कोर ग्रुप काे भी अपग्रेड किया जाएगा। कोर ग्रुप के माध्यम से छोटी-छोटी विशेषज्ञ टीम बनाकर प्रशिक्षण मॉड्यूल और डिजाइन तैयार कराया जाएगा। विभिन्न विकास खण्डों और जिले आपस में समन्वय कर अपने-अपने लिए अलग-अलग प्रशिक्षण के क्षेत्रों का निर्धारण कर आपस में एक-दूसरे से साझा करेंगे। शिक्षकों को अपनी रुचि और आवश्यकता के आधार पर प्रशिक्षण का चयन करने का अवसर दिया जाएगा।छत्तीसगढ़ में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी, सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, बैगानी और माड़िया बोली जाती है। इसके अलावा सीमावर्ती जिलों में उड़िया, बांग्ला, मराठी और तेलुगु भी बोलचाल की प्रमुख भाषाएं हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए इन भाषाओं में किताबों का प्रकाशन किया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद-SCERT ने अपनी किताबों का एक पेज हिन्दी का दूसरा पेज स्थानीय भाषा में तैयार की है, लेकिन इनको पढ़ाने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था नहीं है।

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