जब तक स्थिति खराब हो जाएगी, तब तक शिक्षक की जिम्मेदारी नहीं होगी और जैसे कि नौकरी में वापस आने वाले ही शिक्षक निक्कमे हो गए, गजब है।
छत्तीसगढ़ विद्यालय शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष संजय तिवारी ने बयान जारी कर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा के शिक्षको के संबंध में दिए बयान को घोर आपत्तिजनक बताते हुए उनकी पुरानी पोस्ट जारी करते हुए कहा की जब वे सचिव स्कूल शिक्षा नही थे तब शिक्षक उत्कृष्ठ हुआ करते थे आखिर उनके सचिव स्कूल शिक्षा रहते ही शिक्षको के स्तर में गिरावट कैसे आ गई ? निश्चित रूप से शैक्षिक प्रशासन में गिरावट आई है ,।संघ के रोहित साहू , भरत तंबोली ,देवीप्रसाद ध्रुव,, आर डी निराला ,मंगल मूर्ति सोनी ,गणेश चंद्राकर ,संतोष विश्वकर्मा ,शत्रुघ्न यादव ,गिरीश वर्मा, प्रकाश साहू ,लोचन साहू ,अरविंद चंद्रवंशी ,प्रेमशंकर ध्रुव ,तीरथनारायण बंजारे, पंकज दुबे, छवि राम ,उमाशंकर वर्मा हरिशंकर बांसवार ,नंदकुमार सिन्हा आदि ने संयुक्त बयान जारी कर कहा की सचिव को आत्म विश्लेषण की जरूरत है ,शिक्षको की पदोन्नति ,क्रमोन्नति ,मंहगाई भत्ता ,सब कुछ क्यू बाधित क्यू है ,.
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा का प्रदेश के शिक्षकों को निकम्मा ,अक्षम बताना शासन का अपराधबोध है ,,अपनी अक्षमता की स्वीकारोक्ति है वास्तव में शैक्षिक प्रशासन में गुणवत्ता की सबसे अधिक जरूरत है यदि शिक्षा के स्तर में सुधार करना है ,,,किलोल की कीमत से गुणवत्ता नही बढ़ेगी ना ही स्कूल खुलते ही शिक्षको को प्रशिक्षण में झोंक देने से गुणवत्ता बढ़ेगी , आज समय सारिणी से लेकर वार्षिक कैलेंडर तक शिक्षा विभाग मंत्रालय से तय कर भेज देता है प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय में एक कालखंड एक घंटे का जबकि महाविद्यालय स्तर पर भी 55मिनट का ही एक काल खंड होता है,शाला कैलेंडर स्कूल स्तर पर नही बल्कि मंत्रालय से तय होने लगा है ,,प्रशिक्षण शिक्षको के आवश्यकता के अनुरूप न हो कर आबंटन की मात्रा के अनुरूप होने लगा है प्रशिक्षण स्तरहीन अवांछित हो चला है ,,बी ई ओ,, बी आर सी जैसे पद भरने के नियम नही बल्कि ऊंची बोली से भरे जाने लगे है ,,इसे में शिक्षको को निकम्मा कहना हास्यपद है , शीर्ष स्तर पर बैठे अधिकारियों को सचिवालय ,संचनालय ,एस सी आर टी ,आदि दुरुस्त करना होगा if gold rust what shall iron do ,,,।